तुम्हारे अक्स से दुनिया है रोशन ,
सुना है चाँद की तू चांदनी है .
सलीका प्रेम में अब क्या करेगा ,
नज़र को अब के माफ़ी मिल चुकी है .
ज़रा अब दर्द से नहला दो मुझको,
वफ़ा की धूल काफी चढ़ चुकी है .
समंदर अब के पानी मांगता है ,
सुना है प्यास उसकी बढ़ चुकी है .
कहीं पर मीर ने देखा है तुझको ,
चमक चेहरे के उसकी बढ़ चुकी है.
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