अगर तुम बन गयी दीपक तुम्हारी लौ बनूँगा मैं,
नदी के शोर में शायद तुम्हारी धुन सुनूंगा मैं.
तुम्हारी याद में अक्सर यहाँ आंसू टपक पड़ते,
ये मोती है मेरे प्रीतम मगर कब तक गिनूंगा मैं…
..atr
अगर तुम बन गयी दीपक तुम्हारी लौ बनूँगा मैं,
नदी के शोर में शायद तुम्हारी धुन सुनूंगा मैं.
तुम्हारी याद में अक्सर यहाँ आंसू टपक पड़ते,
ये मोती है मेरे प्रीतम मगर कब तक गिनूंगा मैं…
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