युग बीता बातें याद बन गई,
लिखते – लिखते …..
तुम एक किताब बन गई।
रचनाओं में रोने की हंसने की गढ़ावत है
तुम्हारे साथ हर पल दुबारा जीने की लिखावट है।
किताब के बहाने तुम्हें याद करते है,
ए अजनबी हसीना तुम्हें बहुत प्यार करते हैं।
निमिषा सिंघल
युग बीता बातें याद बन गई,
लिखते – लिखते …..
तुम एक किताब बन गई।
रचनाओं में रोने की हंसने की गढ़ावत है
तुम्हारे साथ हर पल दुबारा जीने की लिखावट है।
किताब के बहाने तुम्हें याद करते है,
ए अजनबी हसीना तुम्हें बहुत प्यार करते हैं।
निमिषा सिंघल