तुम आए बदरा छाए
नैनमा दीप जले
गेहूं की बाली
खेतन मां लहराए
जब लागी प्रीत बिरहा की
तो फसल ओला से गिर जावे
मनमोहन तेरी आंख है
बस तुम पर विश्वास है
कर दो मेरी कुछ चाकरी
बन सुदामा मैं तुम्हारी उतारू आरती
तुम आए बदरा छाए
नैनमा दीप जले
गेहूं की बाली
खेतन मां लहराए
जब लागी प्रीत बिरहा की
तो फसल ओला से गिर जावे
मनमोहन तेरी आंख है
बस तुम पर विश्वास है
कर दो मेरी कुछ चाकरी
बन सुदामा मैं तुम्हारी उतारू आरती