तुम धूप बुला लो दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्" 4 years ago आँसुओं से भीगे हुए, तकिये को हटा लो, तुम आस के रूठे हुए, पंछी को बुला लो, अन्मनी रातों के चांद बुझा दोगे तुम, ये रात ढ़ल जायेगी गर, तुम धूप बुला लो ।। copyright@ नील पदम्