तेरा दीदार हुआ,
उसका शुखराना,
बीहर आबाद हुआ,
उसका शुकराना,
अब मुहलत न थी इस ज़िन्दगी की,
मुहलत ना थी उसकी बंदगी की,
छोड़ तू चली गयी उस और
मेरे इस मयखाने मुझे छोड़
अब किसी और की हैं वह,
खुश रहे वह,
किसी और के सपने मैं आबाद रहे वह,
तेरी आदत थी कभी ,
अभी तेरी पड़चाई की आदत हैं ,
गुमनाम सी इस ज़िन्दगी,
उसी की आहट की आज़माइश हैं