तेरी पहली पंक्ति में
मैंने तुझे शीशे सा टूटता हुआ देखा,
और जब तूने दूसरी और अंतिम पंक्ति लिखी
तो उसी शीशे के टुकड़ों को ज़मीन पर बिखरते हुए देखा,
तेरे लेख से मैंने तुझको बार-बार करीब से देखा,
जब-जब देखा तुझे शीशे की तरह टूटता हुआ ही देखा।।
-मनीष
तेरी पहली पंक्ति में
मैंने तुझे शीशे सा टूटता हुआ देखा,
और जब तूने दूसरी और अंतिम पंक्ति लिखी
तो उसी शीशे के टुकड़ों को ज़मीन पर बिखरते हुए देखा,
तेरे लेख से मैंने तुझको बार-बार करीब से देखा,
जब-जब देखा तुझे शीशे की तरह टूटता हुआ ही देखा।।
-मनीष