तेरी याद आज
बैठी है गुमसुम
शायद थक गई
यादों की भी उम्र होती है
एक उम्र बाद यादें धुँधली
पड़ जाती है लेकिन
तुम्हारी यादों की ताप बढ़
गई है उम्र के साथ
राजेश’अरमान’
तेरी याद आज
बैठी है गुमसुम
शायद थक गई
यादों की भी उम्र होती है
एक उम्र बाद यादें धुँधली
पड़ जाती है लेकिन
तुम्हारी यादों की ताप बढ़
गई है उम्र के साथ
राजेश’अरमान’