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तेरे संग मैंने ख्याब जो देखे

तेरे संग मैंने ख्याब जो देखे वो ख्याब नहीं जिन्दगी है मेरी ।
ख्याब के सहारे कटते नहीं दिन, रात भी है बोझिल दिन भी है सुना ।
भूले है सपने, फूटी किस्मत, टूटे है रिश्ते, बिखड़े सहारे ।
तेरे……. ।।1।।
आ देख जरा तुम इन वादियों को, लगते है रिश्ते अपने सदियों पुराने ।
मगर तुम न जाने मुश्किल हमारी, राहें कठिन है, चलना तेरे संग है ।
तेरे संग ही जिन्दगी, मौत से डर नहीं, रहनुमा तेरा प्यार है ।
तेरे संग… ।।2।।
तेरे प्यार का पुजारी हूँ मैं, राधा की कृष्ण हुँ मैं, मीरा की मुरलीमोहन हुँ मैं ।
वफा निभाई हमने कई बेवफाओं संग कहीं तुम धोखा न देना मेरे यार ।
बदलते मौसम की तरह तुम भी बदल न जाना मेरे यार ।।
तेरे संग … ।।3।।
उन रिश्तों को उन कसमों उन वादियों अब कौन भुले?
जिये जो हमने संग तेरे वो वापस कैसे आये हम?
वफा थी सच्ची कोमल दिल तेरा सह न सका मुकद्दर हमारी ।।
तेरे संग … ।।4।।
कवि विकास कुमार

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