इल्ज़ाम तो बहुत लगे हम पर,
मगर खता का कोई
सबूत भी मिल जाता तो अच्छा था.
जिन्दगी की राहों में लोग तो बहुत मिले ,
मगर उनमे से कोई अपना बन कर
मिल जाता तो अच्छा था.
होकर भी गुमनाम रहे हम उनकी महफ़िल में,
चर्चा कभी हमारे होने का भी
हो जाता तो अच्छा था.