टूटकर बिखर जाने को तैयार रहती है,
गर कच्ची हो चिनाई तो दीवारों में दरार रहती है,
इस ज़मी पर आकर मुम्किन है मोहब्बत की गिरफ्त में आना,
नहीं तो सारी ज़िन्दगी यूँही ख़ाकसार रहती है।।
राही (अंजाना)
टूटकर बिखर जाने को तैयार रहती है,
गर कच्ची हो चिनाई तो दीवारों में दरार रहती है,
इस ज़मी पर आकर मुम्किन है मोहब्बत की गिरफ्त में आना,
नहीं तो सारी ज़िन्दगी यूँही ख़ाकसार रहती है।।
राही (अंजाना)