नहीं भुलाता है मन
दर्द मिला हो जिस पथ
चल रहे थे स्वयं की गति में
छिला था कंटक बन पग।
लहूलुहान हो गया था मन
लगाई मरहम पट्टी
वैद्य बनकर जिसने
दर्द दूर किया था
अपना बन,
उसे भी नहीं भुला पाता,
दूर नहीं रख पाता
मन से।
नहीं भुलाता है मन
दर्द मिला हो जिस पथ
चल रहे थे स्वयं की गति में
छिला था कंटक बन पग।
लहूलुहान हो गया था मन
लगाई मरहम पट्टी
वैद्य बनकर जिसने
दर्द दूर किया था
अपना बन,
उसे भी नहीं भुला पाता,
दूर नहीं रख पाता
मन से।