दर्पण Pt, vinay shastri 'vinaychand' 4 years ago सीसा का एक टुकड़ा हूँ कहते लोग मुझे हैं दर्पण। गुण औगुन को दर्शाने नर समाज को मेरा समर्पण।। सबको उसका रूप दिखाता। मेरे सम्मुख जो भी आता।। कीट पतंग और नर तन। मैं तो हूँ एक दर्पण।।