दशहरा पर्व यह पावन
मुबारक हो सभी को,
मिटे सारी बुराई
खिले बस खूब अच्छाई।
रावण सरीखी वृतियाँ
सब दूर हो जायें,
जीभ में शारदा माँ और
वाणी में मिठाई।
भलों का मार्ग
कांटों से रहित हो,
बुरों की बुरे कामों से
हो जाये विदाई।
प्रतिभाएं जो
मुरझा सी रही हैं,
उन्हें कुछ खाद मिल जाये
सूखते पुष्प-पौधों की
निरंतर हो सिंचाई।
दशहरा हो मुबारक आपको
दूर भागे सब बुराई,
खिले बस खूब अच्छाई
खिले बस खूब अच्छाई।