जब लेते हैं दहेज़,और लेते हैं कलेजा किसी का जो उसका अभिमान है।
त्यागते है वो सबकुछ जो उनका सम्मान है,
तो क्यों लेते है दहेज़,दहेज़ ही क्या एक शान है
क्योकि दहेज़ एक अभिशाप है।
इसी दहेज़ के खातिर,एक बाप अपने अरमानो को रौंदता है।
जबतक होती है बेटी बड़ी,तबतक बेटी के लिए सबकुछ संजोगता है,
जो उसका अभिमान है ,जो उसका स्वाभिमान है
तो क्यों लेते हैं दहेज़,क्या दहेज़ उसका मान है।
क्योंकि दहेज़ एक अभिशाप है।
बेटी का पिता अपना सम्मान बचाने को,अपना सबकुछ गंबा देताहै ,
फिर भी क्या वो बेटी को सभी हक दिला देता है
तो क्यों लेते हैं दहेज़,दहेज ही क्या नाम है
क्योंकि दहेज़ एक अभिशाप है।
क्यों लोग चन्द रुपयों के लिए ढोंग रचाते हैं,
किसी के कलेजे के टुकड़े को जलाते है।
जो लोग दहेज़ को अभिमान समझते,क्या वो बुद्धिमान हैं।
तो क्यों लेते है दहेज़,क्या दहेज़ उनका आन है,
क्योंकि दहेज़ एक अभिशाप है।
दहेज़ एक अभिशाप है।