ये दास्ता कहे नहीं कही जाती
कोशिशे क़ी कई दफ़ा
मगर भूली भी नहीं जाती
गुफ़्तगु ए इश्क कभी लफ़्जों से होती नहीं
ये वो बात है जो दिल से है समझी जाती
ये दास्ता कहे नहीं कही जाती
कोशिशे क़ी कई दफ़ा
मगर भूली भी नहीं जाती
गुफ़्तगु ए इश्क कभी लफ़्जों से होती नहीं
ये वो बात है जो दिल से है समझी जाती