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दास्ता

ये दास्ता कहे नहीं कही जाती
कोशिशे क़ी कई दफ़ा
मगर भूली भी नहीं जाती
गुफ़्तगु ए इश्क कभी लफ़्जों से होती नहीं
ये वो बात है जो दिल से है समझी जाती

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