जो उस के, महल में जाते हैं
उसे देख के, फिसल जाते हैं
हवा का रुख, जो बदलता है
सियासतदाँ, बदल जाते हैं
जो ठोकर, खाते रहते हैं
वही आख़िर, संभल जाते हैं
दिल को मुट्ठी, में मत रखना
ये हाथों से, निकल जाते हैं
माँ की दुआ है, साथ अगर
तो हादसे भी, टल जाते हैं