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दिल

दिल जब लगता अच्छा बुरा कहां दिखता,
तड़प आह दर्द को कहां वह गौर करता।
आंखों आंखों से प्यार का इजहार करके,
खुद को हिर रांझा जैसा मशीहा समझता।।

✍महेश गुप्ता जौनपुरी

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