इस सुरमयी संसार में
सबको मिले सुख भोगने को
दुख किसी को भी मिले मत
राम जी वर आज दो।
आपने त्रेता में जैसे,
उस दशानन को संहारा,
आज भी आकर
निशाचर वृति को संहार दो।
सब तरफ है छल-कपट
धोखे भरी दुर्वासना है,
आपको फिर आज मन के
रावणों को मारना है।
यदि नहीं अवतार
ले सकते हैं वैसे आप फिर
बैठकर सबके मनों में
सत्य का संचार दो।
भूख को रोटी मिले,
वस्त्र मिले, कुछ छांव हो
राम जी आओ ना फिर से
प्रेम दो सद्भाव दो।