Site icon Saavan

दुर्योधन कब मिट पाया :भाग :40

=====
अति शक्ति संचय कर ,
दुर्योधन ने  हाथ बढ़ाया,
कटे हुए नर मस्तक थे जो ,
उनको हाथ दबाया।
=====
शुष्क कोई पीपल के पत्तों
जैसे टूट पड़े थे वो,
पांडव के सर हो सकते ना
ऐसे फुट पड़े थे जो ।
=====
दुर्योधन के मन में क्षण को
जो थी थोड़ी आस जगी,
मरने मरने को हतभागी
था किंचित जो श्वांस फली।
=====
धुल धूसरित हुए थे सारे,
स्वप्न दृश ज्यो दृश्य जगे  ,
शंका के अंधियारे बादल
आ आके थे फले फुले।
=====
माना भीम नहीं था ऐसा
मेरे मन को वो भाये ,
और नहीं खुद पे मैं उसके,
पड़ने देता था साए।
=====
माना उसकी मात्र प्रतीति 
मन को मेरे जलाती थी,
देख देख ना सो पाता था 
दर्पोंन्नत जो छाती थी।
=====
पर उसके घन तन के बल से,
है परिचय कुछ मैं मानू,
इतनी बार लड़ा हूँ उससे
थोड़ा सा तो पहचानू।
=====
क्या भीम का सर ऐसे भी
हो सकता इतना कोमल?
और पार्थ ये हारा कैसे,
मचा हुआ हो अयोमल?
=====
अश्वत्थामा मित्र तुम्हारी
शक्ति अजय का  ज्ञान मुझे,
जो कुछ भी तुम कर सकते हो
उसका है अभिमान मुझे।
=====
पर युद्धिष्ठिर और नकुल है 
वासुदेव के रक्षण में,
किस भांति तुम जीत गए
जीवन के उनके भक्षण में?
=====
तिमिर  घोर  अंधेरा  छाया 
निश्चित कोई  भूल हुई है,
निश्चय  हीं किस्मत  में मेरे
धँसी हुई सी  शूल हुई है।
=====
दीर्घ स्वांस लेकर दुर्योधन
हौले से फिर डोला,
चूक हुई है द्रोणपुत्र,
निज भाग्य मंद है बोला।
=====
अजय अमिताभ सुमन:
सर्वाधिकार सुरक्षित
=====

Exit mobile version