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दुल्हन ही दहेज है

वे प्रेम विवाह रचा रहे थे
सपने नये सजा रहे थे
लड़की थी पढ़ी – लिखी
बढ़िया वेतन पाती थी
महीने में 60 – 70 हजार
कमाकर लाती थी
पर दहेज की बातें उसे
तनिक नहीं सुहाती थी
लड़के के पिता फरमाइशों
की झड़ी लगा रहे थे
रुपया – पैसा सोना – चांदी
मोटर – कार गाड़ी बंगला
सभी कुछ मंगवा रहे थे
वरना बिन दुल्हन बारात
वापिस ले जा रहे थे
लड़की के पिता गिड़गिड़ा रहे थे
लड़की से पिता की बेबसी
सही नहीं जा रही थी
अचानक उसे गुस्सा आया
उसने कराटे का एक हाथ
लड़के के पिता के
गाल पर जमाया
तभी लड़के के पिता के
होश ठिकाने आया
उसने पंडित तुरंत बुलाया
विधि – विथान से ब्याह रचवाया
सुंदर दुल्हन घर में लाया ।

प्रस्तुति – रीता अरोरा
राष्ट्रीय कवि संगम दिल्ली

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