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दूसरे को मक्कार कहना

दूसरे को मक्कार कहना
और खुद को महान मानना
छोड़ दे इंसान, मत कर गुमान
जीवन है संघर्ष है सब जीते हैं
सब चलते हैं, चलने वालों को
इस तरह गाली नहीं करते हैं।
कलम से या मुंह से निकले अपशब्द,
तो दूसरे के लिए नहीं
अपने लिए ही कल की पूंजी बनते हैं,
किसी दूसरे को अपशब्द कहे कर
कभी महान नहीं बनते हैं।

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