देख पथिक जिसके
विषाद से
मन गीला हो जाता हो
जिस पर माया ममता हो
जो अपनों जैसा
लगता हो,
उसे कभी भी दुख न मिले
बस उन्नति ही करता जाये
बस वह खिलता ही जाये।
देख पथिक जिसके
विषाद से
मन गीला हो जाता हो
जिस पर माया ममता हो
जो अपनों जैसा
लगता हो,
उसे कभी भी दुख न मिले
बस उन्नति ही करता जाये
बस वह खिलता ही जाये।