देख लिया दुनिया तुझको
अब और नहीं कुछ चाहत है,
हर तरफ चेहरे पर एक चेहरा है
अपनों से ही हर जन आहत है।
अब और फरेब की गुंजाइश नहीं
यहां अपनापन की लगी नुमाइश है
ढिठता की हद पार किए
दिखती नही शरमाहट है।
देख लिया दुनिया तुझको
अब और नहीं कुछ चाहत है,
हर तरफ चेहरे पर एक चेहरा है
अपनों से ही हर जन आहत है।
अब और फरेब की गुंजाइश नहीं
यहां अपनापन की लगी नुमाइश है
ढिठता की हद पार किए
दिखती नही शरमाहट है।