“देह की उर्मियाँ” Pragya 3 years ago आसमानी रंग में अब तो रंगी दुनिया नेह के दीपक तले जल रही तनहाईयाँ दूधिया रोशनी में सज रहा प्रियतम मेरी चुनरी ओढ़ कर पवन ले रही अंगड़ाइयां बारिश की बूंदों से दिल की सज रही महफिल अश्क तकिए पर पड़े हैं मुस्कुरा रही हैं दह की उर्मियाँ।।