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दो पहलू

सिक्के के दो पहलू
समालोचना और आलोचना
मन-पल्लवित होता सुन समालोचना
वही रचना में आता निखार सुन आलोचना
स्वीकारो ह्रदय से दोनों को एक समान
यही बने कवि की सही पहचान।

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