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धरा दुल्हन सी सज गयी है

धरा दुल्हन सी सज गयी है
रिम झिम रिम झिम बूँदे जैसे गा रहीं हैं
पेड़ पौधे और हरियाली झूम झूम के नाच रहे हैं
अम्बर गर्जा बिजली तडकी ढोल नगाड़े से पीट रहे हैं
आया आया देखो मनभावन सावन
मोर पपीहा सब चीख रहे हैं
मन भी पुलकित तन भी पुलकित
सब एक त्योहार सा लग रहा है
धरा दुल्हन सी सज गयी है
चारों और हरियाली छा गयी है

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