धूम-फिर कर वहीं आ रहा हूँ Satish Chandra Pandey 3 years ago धूम-फिर कर वहीं आ रहा हूँ आईना जिस जगह पर लगा है मासूमियत बहुत दूर है, पर्त क्या है वो जिसने ढका है। स्याह नयनों के नीचे पड़ी है, है जरूरत नहीं लाऊं काजल, ठीक वैसा हूँ जैसा दिखा हूं, और भीतर लगाया हूँ साँकल।