धूल उड़ रही है Satish Chandra Pandey 3 years ago धूल उड़ रही है बरसात में भी, कशिश रह गई है मुलाकात में भी। दिन लग रहा है इस रात में भी, बिछुड़े से लग रहे हैं मुलाकात में भी। सब रह नहीं गया है अब हाथ में भी, कुछ न पाए उनसे मुलाकात में भी।