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धूल उड़ रही है

धूल उड़ रही है
बरसात में भी,
कशिश रह गई है
मुलाकात में भी।
दिन लग रहा है
इस रात में भी,
बिछुड़े से लग रहे हैं
मुलाकात में भी।
सब रह नहीं गया है
अब हाथ में भी,
कुछ न पाए उनसे
मुलाकात में भी।

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