Site icon Saavan

नन्ही लगी निशाने पर

हम अभिभावकों के लिए यह कहाँ तक संभव है
हर जगह बेटियों के साथ, परछाई बन चल पाना
क्या यह उचित होगा, फिर से
घर की चाहरदीवारी में, रोक पाना
हथरस जैसी घटनाएँ, नितप्रतिदिन डरा रही है
हमारी नन्ही सी जान, लगी है निशाने पर ।।

Exit mobile version