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नसीहत

जो ठहर जाए वो हवा नहीं होती,
दुनिया में हर मर्ज की दवा नहीं होती ।
विनयचंद खुद सम्हाल अपने दिल को ,
क्योंकि यहाँ अदा- ए-वफा नहीं होती।।

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