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नसीहत

कृष्ण के भजने पर कभी राम
पराए नहीं होते।
पंथ बदलने पर भी भगवान
पराए नहीं होते।।
दम है अरदास में तो अजान
पराए नहीं होते।
कतरा-ए-लहू एक हो तो इंसान
पराए नहीं होते।।
खुदगर्ज बनकर न जी अंजान
पराए नहीं होते।
“विनयचंद “दुनिया में मेहमान
पराए नहीं होते।।
पं़विनय शास्त्री

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