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नहीं पड़ता फर्क अब मुझको

पहले पढ़ता था फर्क
तूफान आते जाते थे
जबसे गहराइयों से नाता जोड़ा है
तेरे ध्यान में मग्न हो
भीड़ में भी संसार से नाता तोड़ा है।
निमिषा सिंघल

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