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नागरिक संशोधन बिल

ये कुछ नहीं गंदी राजनीति का किस्सा है।
पता ही नहीं वो क्यों भीड़ का हिस्सा हैं।

ये जो लोग सड़कों पर उतर आए हैं।
असली चेहरा दुनिया को दिखाए हैं।
शरणार्थी तो देश के नागरिक नहीं, पर
नागरिक भी क्या देशभक्ति निभाएँ है।
जो नागरिक हैं, उन पर तो कोई आँच नहीं,
फिर बेवजह वो किस बात पर गुस्सा हैं।
ये कुछ नहीं गंदी राजनीति का किस्सा है।
पता ही नहीं वो क्यों भीड़ का हिस्सा हैं।

बपौती समझ क्यों राष्ट्र संपत्ति फूंक रहे।
अपने संस्कारों पर वह स्वयं ही थूक रहे।
बात नागरिकता संशोधन की है, फिर क्यों
धर्म के नाम पर सियासी रोटियाँ सेंक रहे।
देश बर्बाद करने खेल रहे हैं, धर्म के नाम पर,
राजनीति का खेल खींच-तान एक रस्सा है।
ये कुछ नहीं गंदी राजनीति का किस्सा है।
पता ही नहीं वो क्यों भीड़ का हिस्सा हैं।

देवेश साखरे ‘देव’

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