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नाम

तुम्हें उठाने मे बेशक, हम सौ बार गिरे।
तुमने भी तो गिर – गिर के उठने की जिद की।
आज मंजिल की पनाह मे तेरा नाम मुस्कुराया है।
कल हम रहें न रहें, मेरा दिया नाम जिन्दा रह जायेगा।

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