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“नारी की अस्मिता”

नारी की अस्मिता पर
जैसे ही बात आती है
नारी रौद्र रूप और जाती है
जब जब पुरुष की इच्छा हुई
तब तब नारी के चरित्र की
परीक्षा हुई
नारी तो है निर्मल पावन गंगा-सी,
भारी हो जैसे उसमें
ममता की निर्मलता-सी।
नहीं लगाओ नारी के चरित्र पर कोई प्रश्न चिन्ह,
क्योंकि तुम्हारा इतिहास ही
एक दिन बन बैठेगा तुम्हारा प्रश्न चिन्ह।

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