Site icon Saavan

नारी की दशा बहोत ही विचित्र सी है

नारी की दशा बहोत ही विचित्र सी है
है देवी पर क्यों अपवित्र सी है ?
है हर जीवन का स्रोत… पर
जीते जी स्वयं मृत सी है

Exit mobile version