Site icon Saavan

नारी, नहीं रौनक हो तुम

नारी, नहीं रौनक हो तुम
घर की प्राण हो, जान हो तुम
भीतर खुशियों की खनखनाहट
बाहर अभिमान हो तुम।
माँ-बहन-पत्नी, बेटी
रिश्तों का मधुर गान हो तुम
कुछ भी कहे कविता मगर
जिंदगी की शान हो तुम।

Exit mobile version