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नारी सब पर भारी

सत्य है नारी, सब पर है भारी।

अब मलेरिया को ही देख लो,
नर एनाफिलीज की, नहीं है औकात।
ये तो है मादा एनाफिलीज की सौगात।
दुनिया होती, भगवान को प्यारी।
सत्य है नारी, सब पर है भारी।

सुन्दरता की गर बात करें तो,
मोरनी ने भले, सुन्दर पंख नहीं पाया।
परन्तु मोर को, स्वयं के लिए नचाया।
मूक जीव भी, नारी पर बलिहारी।
सत्य है नारी, सब पर है भारी।।

विश्वामित्र जैसे तपस्वी भी,
अछूते ना रहे, कामदेव के काम वार से।
बच ना सके, रूपसी मेनका के प्यार से।
व्रत भी अपनी, तोड़ दे ब्रम्हचारी।
सत्य है नारी, सब पर है भारी।।

देखें तुलनात्मक दृष्टिकोण तो,
नारी ही समूची प्रकृति है।
प्रकृति की अप्रतिम कृति है।
प्रकृति से छेड़छाड़ है प्रलयकारी।
सत्य है नारी, सब पर है भारी।।

चिन्तन करें नारी के बिना,
जन्म से मृत्यु तक पुरुष है अधूरा।
हर कदम पर नारी करती उसे पूरा।
नारी का सदैव, पुरूष है आभारी।
सत्य है नारी, सब पर है भारी।।

देवेश साखरे ‘देव’

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