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ना जाने कितने मौसमों की हवा ली हमने

ना जाने कितने मौसमों की हवा ली हमने,

ना जाने कितने साँसों को सदा दी हमने,

कहने को कह दी हर बात सरसराहट से हमने,

ना जाने कितने ही दिलों को दवा दी हमने।।

राही (अंजाना)

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