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निर्मल मन को भाते हर लोग है ।

निर्मल मन को भाते हर लोग है ।
चाहे वो नर गोरा हो या काला ।
इन्हें रंग भेद आता नहीं ।
इसलिए ऐसे लोग जहां में संत कहलाते है ।।1।।

संतों की महिमा इस धरा पे धरती समान है ।
जैसे धरा नर के हर अपराध क्षमा करती ।
वैसे ही संतजन दुर्जनों को नेकी के सदा राह दिखाते ।
निर्मल मन को भाते हर लोग है ।।2।।

मैला मन है जिसका उसके श्वेत तन से क्या लेना ।
जो नर मन के सच्चे नहीं, उसके तन से क्या भला ।
कर लो नर मन को निर्मल, तो काले तन भी पावन है ।
निर्मल मन से हरि मिलता तो क्यूँ ना करे निर्मल मन ।।3।।
कवि विकास कुमार

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