नेह का नीर Pragya 3 years ago छलना ही सीखा जीवन भर अच्छे कर्म कहाँ कर पाए जीवित होते पौधों को हम नेह का नीर कहाँ दे पाए पीर की चादर तान के हम तो रातोंरात कवि बन गये और ना कुछ सीखा जीवन में केवल हमनें अश्क बहाये…