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नेह की सुन्दर कलम से”

सावन की आभा खिले
खिले विश्व में चहुँ ओर
लेखनी मेरी प्रखर हो
हो दीप्तिमान चहुं ओर
नेह की सुंदर कलम से
लिखा हुआ साहित्य
स्वार्थ हीन हो हिय मेरा
ईर्ष्या हीन कर्तव्य
दीनों के दिल की पीर हो
बेसहारे की हो सहाय
कुछ ऐसा लिख जाऊँ मैं
हो चहुँ ओर सुनाय।।

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