✍?अंदाज ?✍
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न करो चमन की बरबाद गलियां
कुचल के सुमन रौंद कर कलियाँ
पुरुषार्थ है तुम्हारा तरूवर लगाना
बागो मे खिलाना मोहक तितलियां
आगाज करो नव राह बदलाव के
गुलशनो मे रहे सुकून की डलियां
माली हो तुम करो महसूस यहां
समझो सृजन की सत्य पहेलियां
मासूम वृक्ष लताएं हैं सव॔ धरोहर
फैलने दो इनकी मंत्रमुग्ध लडियां
संस्कार धरो प्रकृति का मान रखो
धरती पे निखारों मानवीय कडियां
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श्याम दास महंत
घरघोडा
जिला-रायगढ(छग)
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(दिनांक -24-04-2018)