‘न दुआ लगती है, न मुझको दवा मिलती है
ज़ख्म दुखता है अगर उसको हवा मिलती है..
किसी तरह से उसे दिल से निकाला था मगर,
वो अगले पल ही मुझे मुझमे रवाँ मिलती है.’
– प्रयाग
‘न दुआ लगती है, न मुझको दवा मिलती है
ज़ख्म दुखता है अगर उसको हवा मिलती है..
किसी तरह से उसे दिल से निकाला था मगर,
वो अगले पल ही मुझे मुझमे रवाँ मिलती है.’
– प्रयाग