ख्वाइशों का पंछी गगन में उड़ता रहता है,
बैठता एक पल नहीं धरती से उठा रहता है,
आंसुओं का बहना कम नहीं होता एक पल,
इंसा का सर बस रब के आगे झुका रहता है।।
राही (अंजाना)
ख्वाइशों का पंछी गगन में उड़ता रहता है,
बैठता एक पल नहीं धरती से उठा रहता है,
आंसुओं का बहना कम नहीं होता एक पल,
इंसा का सर बस रब के आगे झुका रहता है।।
राही (अंजाना)