पता Manish Chandra 5 years ago मैं एक नज़्म तेरी आँखों मे सजा कर, पलकों पे तेरी ख़ुद का पता लिख जाऊंगा. खुर्दबीन से भी ग़र मैं अब नज़र नहीं आता, देखो गिरेबाँ अपना.. शायद वहीं मिल जाऊंगा.