जलाकर रख दिए ख़त मगर यादों को अग्नि दगा दे गई,
मुट्ठी में दबाकर रखी थी मगर खुशबू को हवा उड़ा ले गई,
बेबाक यूँही नशे में गुज़र रही थी लडखड़ाती हुई ज़िन्दगी,
आई एक रात फिरजो ख्वाबों में मुझे तुम्हारा पता दे गई।।
राही अंजाना
जलाकर रख दिए ख़त मगर यादों को अग्नि दगा दे गई,
मुट्ठी में दबाकर रखी थी मगर खुशबू को हवा उड़ा ले गई,
बेबाक यूँही नशे में गुज़र रही थी लडखड़ाती हुई ज़िन्दगी,
आई एक रात फिरजो ख्वाबों में मुझे तुम्हारा पता दे गई।।
राही अंजाना