Site icon Saavan

पत्थर को पूजते-पूजते थक गये हम कई वर्षों से ।

पत्थर को पूजते-पूजते थक गये हम कई वर्षों से ।
पर क्या खाक मिला हमें, तुझसे ओ बेवफा मुहब्बत करने से ।।
पत्थर को पूजते-पूजते थक गये हम कई वर्षों से ।
उनको मुहब्बत मिले जहां मे, जो तेरे हुश्न गुलाम हो ।।
हम तो सिर्फ दिल-ही-दिल में चाहें, क्योंकि तु न बदनाम हो ।
पत्थर को पूजते-पूजते थक गये हम कई वर्षों से ।।
तु मेहरबां जो मुझसे होते, बदनसीब हम न होते ।
कट जाती यूँही जिन्दगानी खुशियों से, हम दुःखी ना होते ।।
पत्थर को पूजते-पूजते थक गये हम कई वर्षों से ।
अब ये वक्त का रूख कुछ नया अंदाज दिखाया ।।
गैर को अपना बनाके तुने अपनी अंदाज दिखाया ।
पत्थर को पूजते-पूजते थक गये हम कई वर्षों से । ।
अब टूट गये हम खूद से ही, तुझसे क्या फिर जुड़े हम ।
पर क्या खाक मिला हमे, तुझसे ओ बेवफा मुहब्बत करने से ।।
पत्थर को पूजते-पूजते थक गये हम कई वर्षों से ।
 विकास कुमार

Exit mobile version